महिला कोस्ट गार्ड अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की मांग को लेकर दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा, "अगर आप महिलाओं को स्थायी कमीशन नहीं देंगे, तो हम देंगे।" याचिकाकर्ता प्रियंका त्यागी: यह याचिका कोस्ट गार्ड में महिला अधिकारी प्रियंका त्यागी ने दायर की थी। उन्होंने मांग की थी कि महिलाओं को भी पुरुषों के समान स्थायी कमीशन दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, "आप नारी शक्ति की बात करते हैं, इसे यहां दिखाएं। सेना और नौसेना महिलाओं को स्थायी कमीशन दे रही हैं, तो आप क्यों नहीं? आप इतने पितृसत्तात्मक क्यों हैं कि आप महिलाओं को कोस्ट गार्ड में नहीं देखना चाहते?" बबीता पुनिया का फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने बबीता पुनिया के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अधिकारी पुरुषों के समान स्थायी कमीशन की हकदार हैं। केंद्र सरकार का जवाब: केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि कोस्ट गार्ड सेना और नौसेना से अलग काम करता है। उन्होंने कहा कि बोर्ड का गठन किया गया है और संरचनात्मक बदलाव की जरूरत है। अगली सुनवाई: अदालत ने केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है और अगली सुनवाई 1 मार्च को तय की है। महत्वपूर्ण बिंदु: सुप्रीम कोर्ट ने महिला कोस्ट गार्ड अधिकारियों को स्थायी कमीशन नहीं देने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। याचिकाकर्ता प्रियंका त्यागी ने मांग की थी कि महिलाओं को भी पुरुषों के समान स्थायी कमीशन दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेना और नौसेना महिलाओं को स्थायी कमीशन दे रही हैं, तो कोस्ट गार्ड क्यों नहीं? केंद्र सरकार ने कहा कि कोस्ट गार्ड सेना और नौसेना से अलग काम करता है और संरचनात्मक बदलाव की जरूरत है। अगली सुनवाई 1 मार्च को होगी। यह फैसला महिला कोस्ट गार्ड अधिकारियों के लिए एक बड़ी जीत है। यह फैसला महिलाओं को समान अवसर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। क्या आप हर सुबह कब्ज से परेशान हैं? इन ब्लैक स्पॉट्स से जल्दी मिलेगी राहत वजन कम करने के लिए ऐसे करें शुरुआत आपको मिलेंगे सही परिणाम सुबह खाली पेट न खाएं ये 5 चीजें, सेहत को होता है नुकसान