सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को दिया गर्भपात संबंधी अधिकार

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में महिलाओं को गर्भपात के संबंध में बड़ा अधिकार दे दिया है. कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि गर्भपात कराना या नहीं कराना यह पूरी तरह से महिला की इच्छा पर निर्भर है. सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला एक याचिका की सुनवाई करते हुए दिया .बता दें कि याचिका में गर्भपात कराने से पहले महिला को पति की भी इजाजत लेने की मांग की गई थी. हरियाणा और पंजाब  हाई कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद पति अपील में सुप्रीम कोर्ट गया था.

उल्लेखनीय है कि यह मामला 1995 में विवाहित दम्पति का है ,उनके बीच जारी तनाव के कारण पत्नी अपने बेटे के साथ चंडीगढ़ में अपने मायके में वर्ष 1999 से रह रही थी. लेकिन सुलह हो जाने पर नवंबर 2002 से दोनों ने साथ रहना शुरू कर दिया. लेकिन 2003 में फिर दोनों के बीच तनाव हुआ और तलाक हो गया, लेकिन इस बीच महिला गर्भवती हो गई.संबंध बेहतर नहीं होने की वजह से महिला गर्भपात कराना चाहती थी, लेकिन इसपर पति ने विरोध किया . चंडीगढ़ के अस्पताल में पति ने गर्भपात की इजाजत वाले दस्तावेज पर दस्तखत करने से इंकार कर दिया.इसके बाद पति ने कोर्ट में पत्नी के खिलाफ 30 लाख रुपए के मुआवजे का केस लगा दिया.

इस मामले में हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर पति -पत्नी के बीच तनाव है और रिश्ते बिगड़ गए है, तो बच्चे को जन्म देना है या नहीं यह पूरी तरह से पत्नी का अधिकार क्षेत्र है. कोर्ट ने कहा कि महिला मां है और वह वयस्क है. कैसे किसी और को उसके लिए फैसला लेने के लिए कहा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय से सहमति जताई.मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने यहां तक कहा कि मानसिक रुप से विक्षिप्त महिला को भी यह अधिकार है कि वह अपना गर्भपात करा सके. कोर्ट ने पति की याचिका ख़ारिज कर दी.

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