डिफॉल्टरों के नाम होंगे सार्वजनिक, सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च न्यायप्रणालिका तंत्र सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्देश के तहत सभी बैंको को कहा है कि उन्हें 500 करोड़ रुपये से ज्यादा के लोन डिफॉल्टरों के नाम बताने होंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कोर्ट के इस निर्णय के बाद अब नॉन परफॉरमिंग एसेट्स (एनपीए) की समस्या को लेकर सरकारी बैंकों को इसके लिए परेशानी झेलनी पड़ सकती है। बता दे कि अभी तक यह सभी बैंक दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे फंसे कर्जों पर लगाम लगाने की कोई भी ठोस रणनीति नहीं बना पाई हैं.

अब इसके साथ ही उन्हें कोर्ट को पहली बार उन बड़े लोन डिफॉल्टरों (कर्ज न लौटाने वाले ग्राहकों)  के नाम भी अब सार्वजनिक करने होंगे जो कि जानबूझकर कर्ज नहीं लौटा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में सभी बैंकों को निर्देश दिया कि उन्हें 500 करोड़ रुपये से ज्यादा के लोन डिफॉल्टरों के नाम बताने होंगे। अभी तक तो सरकारी बैंक जैसे कि रिजर्व बैंक के नियमों व कानूनों के आधार पर बैंक जानबूझकर ही लोन डिफॉल्टर के नामों को सार्वजनिक नही करता था। परन्तु अब देश की सर्वोच्च न्यायप्रणालिका तंत्र सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का व्यापक असर पड़ने की बात कही जा रही है.

अभी तक रिजर्व बैंक के नियमों व कानूनों के आधार पर बैंक जानबूझकर लोन डिफॉल्टर के नाम सार्वजनिक नहीं करते थे। पता चला है कि अभी सरकारी बैंकों के में ही तकरीबन 3.25 लाख करोड़ रुपये की राशि विभिन्न औद्योगिक घरानों के पास फंसी हुई है. जिसमे से 60 फीसद सिर्फ 150 व्यक्तियों या कंपनियों पर बाकि है. 

 

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