सुनो अब यूँ ही चलने दो

 सुनो अब यूँ ही चलने दो, न कोई शर्त बांधो, मुझे गिर कर संभलने दो, न कोई शर्त बांधो पतंगें तो उडेंगी ही, वो पुरवा हो कि पछवा, हवा को रुख़ बदलने दो, न कोई शर्त बांधो सुबह को क्या पता पूजाघरों के काम आए, दिया जलता है जलने दो, न कोई शर्त बांधो नदी बनकर के बहती है शिखर की बर्फ है ये, इसे यूँ ही पिघलने दो, न कोई शर्त बांधो

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