इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला,पांच से कम पदों पर पदोन्नति में आरक्षण देना अनुचित

इलाहाबाद : जो आरक्षित वर्ग के कर्मचारी यदि यह सोच रहे हैं कि अपने ऑफिस में रिक्त एक पद पर पदोन्नति में आरक्षण का लाभ ले लेंगे, तो वे गलत सोच रहे है, क्योंकि ऐसे ही एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पदोन्नति को गलत बताते हुए रद्द कर दिया है.

गौरतलब है कि जनता इंटर कालेज अमरोहा के अर्थशास्त्र विषय के प्रवक्ता पद पर प्रोन्नति में आरक्षण देने को गलत बताते हुए उसे रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत प्रोन्नति में आरक्षण अवैध है. इसके साथ ही हीरालाल मामले में हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि 5 पद रिक्त होने पर ही एससी, एसटी आरक्षण दिया जा सकता है.

बता दें कि जस्टिस अरूण टंडन और जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की खण्डपीठ ने अर्थशास्त्र के प्रवक्ता की विशेष अपील व याचिका का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया. याचिकाकर्ता का कहना था कि दो वरिष्ठ अध्यापक प्रोन्नति होने तक सेवानिवृत्त हो गए थे. ऐसे में प्रोन्नति को गलत नहीं माना जा सकता. लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा नियमावली के नियम 14 के तहत नियमानुसार कार्यवाही करने  के साथ ही कोर्ट ने रिजनल कमिटी को 4 हफ्ते में नियमानुसार प्रोन्नति पर योग्य अभ्यर्थियों को अवसर देते हुए विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है.

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