आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर पहुंचे इंदौर, धर्म सम्मेलन को किया संबोधित

इंदौर : इंदौर में आयोजित किए गए विश्व धर्म-धम्म सम्मेलन के समापन समारोह में आध्यात्मिक गुरू और आर्ट आॅफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर पहुंचे। श्री श्री रविशंकर के पहुंचते ही श्रद्धालुओं, उनके अनुयायियों और भक्तों सहित सामान्यजन अलग ऊर्जा से ओत-प्रोत हो गए। उनमें अलग ही उत्साह का संचार हो गया। गहरे बाल, गहरी दाढ़ी और सफेद वस्त्रों में जब श्री श्री रविशंकर जी सभागार में पहुंचे तो देखने वाले उनके प्रभाव में ही खो गए। इस बीच किसी की आंखें छलक पड़ी तो कोई उन्हें नमन कर रह गया। श्री श्री रविशंकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि धर्म वही है जो हमको थामे रखे। क्षमा ही धर्म है।

हमारे मन में सबके कल्याण की भावना होना जरूरी है। तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय धर्म - धम्म सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए गुरू श्री श्री रवि शंकर ने कहा कि शुद्धता भी धर्म है। इंद्रियों पर नियंत्रण रखना ही धर्म है। उन्होंने 10 धर्मों की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि बुद्धिमान ही धार्मिक हो सकते हैं। बेवकूफ धार्मिक नहीं हो सकते। 

उन्होंने कहा कि वर्तमान में धर्म का लोप हो गया है। इस अभाव के चलते चोरी और अन्य घटनाऐं हो रही हैं। हमारे दिल में यही भाव होना चाहिए कि औरों के काम आ जाऐं यह भाव भी सभी के दिल में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया में एक्सपो की कल्पना कुंभ मेले में हुई थी। यहां पर कई तरह के धर्म व समाज के लोग एक ही स्थान पर इकट्ठा हुए। यह बहुत अच्छी बात ही है। उनका कहना था कि धर्म का अभाव होने से आत्महत्या जैसी बातें होने लगी हैं। 

भ्रष्टाचार फैलने लगा है। राज धर्म, समाज धर्म व मानव धर्म में धर्म का पोषण किया जाना जरूरी है। गुरू देव श्री श्री रविशंकर ने कहा कि महात्मा गांधी, दीनदयाल उपाध्याय, सरदार पटेल, स्वामी विवेकानंद धर्म में आस्था जताते थे। दूसरी ओर वे सामाजिक भी थे वे समाज के कल्याण का काम करते थे। उनका कहना था कि हर 2 सेकंड में 7 व्यक्ति तनाव के चलते मर जाते हैं। विश्वास की कमी होती है और व्यक्ति टूट जाता है। टूटने की बात पर वह अधर्म के काम करने लगता है। व्यक्ति में विश्वास धर्म के कारण ही जागृत होता है।

उन्होंने कहा कि भारत का दिल मध्यप्रदेश है। राज धर्म, समाज धर्म और मानव धर्म में धर्म का पोषण किया जाना जरूरी है। श्री श्री रविशंकर का स्वागत प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह और अन्य गणमान्यजन ने किया। श्री श्री के आगमन पर सभागृह में हर ओर तालियों की गड़गड़ाहट व जय गुरूदेव के जयकारे गूंज उठे। आयोजन स्थल पर लोगों को पास के बिना प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई कुछ पास धारक भी अंदर नहीं जा सके। इस मामले में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सभी के लिए आनंद का विषय है।

उन्होंने कहा कि आई लव यू गुरूजी। आप भी उनसे प्यार करते हैं और मैं भी उनसे प्यार करता हूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हम सभी के लिए आनंद का विषय है। सिंहस्थ को लेकर भी उन्होंने सभी से चर्चा की। उन्होंने कहा कि साधना और तपस्या दिखाई नहीं देते मगर उसे साधक पहचान लेते हैं।

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