वृहद स्वरूप में विराजते हैं श्री गणेश, बनाते हैं बिगड़े काम

भगवान श्री गणेश सभी देवों में प्रथम पूज्य हैं, भगवान श्री गणेश को गजानन, विनायक, लंबोदर, हैरंब, लंबतुण्ड आदि नामों से जाना जाता है। भू लोक में भगवान श्री गणेश के कर्इ धाम हैं, इन धामों में कर्इ ऐसे हैं जो बेहद जागृत हैं, तो दूसरी ओर कुछ मंदिर ऐसे हैं जिनकी बहुत मान्यताऐं हैं। भगवान श्री गणेश रीद्धी और सीद्धी के प्रदाता हैं। भगवान को बुद्धि के देवता भी कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान श्री गणेशने संसार के कल्याण की कामना से वेदों की रचना के लिए अपना एक दांत ही तोड़ दिया। जी हां, ऐसे श्री गणेश के कर्इ मंदिर हैं। जहां उनकी आराधना की जाती है। इन मंदिरों में एक मंदिर बेहद लोकप्रिय है। इस मंदिर को बड़े गणपति के नाम से जाना जाता है।
जी हां, उज्जैन में ज्योर्तिलिंग श्री महाकालेष्वर मंदिर से कुछ ही दूरी पर सिथत है यह मंदिर। इस मंदिर में श्रद्धालु दर्षनों के लिए पहुंचते हैं। यहां भगवान अपने श्रद्धालुओं को वृहद स्वरूप में दर्षन देते हैं। मंदिर में आने पर भगवान की विषाल मूर्ति लोगों की श्रद्धा का केंद्र बन जाती है। मंदिर की स्थापना पदमभूषण पं. सूर्यनारायण व्यास के परिवार द्वारा की गर्इ। मंदिर बहुत जागृत है और श्रद्धालुओं की हर मनोकामना यहां पूर्ण होती है। मंदिर में पंचमुखी हनुमान की जागृत मूर्ति स्थापित है। 
भगवान हनुमान अपने इस स्वरूप में श्रद्धालुओं के कष्टों को दूर करते हैं। मंदिर में श्री गणेश चतुर्थी, बुधवार, संकष्टी चतुर्थी, तिलकुंद चतुर्थी पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। रक्षा बंधन के पर्व पर श्रद्धालु गणपति बप्पा को बड़ी राखियां भेजते हैं। इस पर्व को लेकर यहां बड़ा उत्साह बना रहता है। यही नहीं मंदिर में विविध अवसरों पर वेदपाठी बटुकों द्वारा वेदमंत्रों का उच्चारण किया जाता है। मंदिर की व्यवस्था को लेकर लोकप्रिय ज्योतिष पं. आनंदषंकर व्यास लगातार प्रयासरत रहते हैं। भगवान यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं के कष्टों को दूर करते हैं।

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