दक्षिण कोरिया, अमेरिका के बीच परमाणु ऊर्जा समझौता

सियोल : दक्षिण कोरिया तथा अमेरिका ने अपने 42 वर्ष पुराने असैन्य परमाणु ऊर्जा समझौते का बुधवार को संशोधन किया, जिसके बाद दक्षिण कोरिया भविष्य में परमाणु ईंधन का पुन: प्रसंस्करण कर सकेगा। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय के हवाले से कहा, "दोनों देशों ने सियोल में द्विपक्षीय असैन्य परमाणु सहयोग समझौते का संशोधन किया।"
सियोल तथा वाशिंगटन ने अक्टूबर 2010 में समझौते की समीक्षा के लिए बातचीत शुरू की थी। यह समझौता साल 1974 में हुआ था, जबकि मार्च 2014 में समाप्त हो गया था। लेकिन संशोधित मसौदे पर मतभेद के कारण समयसीमा को बढ़ाकर इस साल मार्च तक कर दिया गया था। दक्षिण कोरिया अपनी कुल बिजली का एक-चौथाई उत्पादन परमाणु संयंत्र के सहारे करता है, साथ ही वह परमाणु बिजली संयंत्र उपकरणों का निर्यात भी करता है। 
वह परमाणु ईंधन का पुन: प्रसंस्करण करना चाहता है। समझौते के संशोधन से दक्षिण कोरिया शोध व विकास के लिए भविष्य में परमाणु ईंधन का पुन: प्रसंस्करण कर सकेगा। अमेरिका इस बात को लेकर चिंतित है कि दक्षिण कोरिया को यूरेनियम संवर्धन तथा पमाणु ईंधन के पुन: प्रसंस्करण की मंजूरी देने से इस तकनीक की मांग करने वाले देशों को रोकना मुश्किल होगा। वाशिंगटन संवर्धन व प्रसंस्करण गतिविधियों को हतोत्साहित करता रहा है, क्योंकि इन गतिविधियों का इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने के लिए हो सकता है।

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