भारतीय सैनिकों की सुरक्षा के लिये भी होने चहिये कुछ आविष्कार

जम्मू -एक रिर्पोट से यह बात समाने आई है कि भारत मे 1984 से अभी तक लगभग 8-9 हजार सैनिक की जान हिमस्खलन की बजह से गई फिर भी भारत सरकार आज भी कुछ नही कर रही है, जबकि सैनिक हमारे लिये अमूल्य है,फिर भी इतना अनदेखी क्यों की जा  रही हैं। कम से कम जंग के आलावा तो सैनिक अपने आपको सुरक्षित महसूस करे। वही हम भारत के सैनिकों की क्या तारीफ  कर सकते है। जब पूरा भारत सोता है तब हमारे सैनिक हमारी रक्षा का जिम्मा उठाते है, वही इतनी ठडं में हम अपने घरो में होते वही वह शून्य तापमान में जम्मू कश्मीर में बाॅडर पर वह पेहरा देते है|

कम से कम हिमस्खलन जैसी आपदाओं से तो हमारे सैनिक को सुरक्षा का कोई पहलू सरकार प्रदान करें, एक और तो भारत में इतने अविष्कार हो रहे है,पर सैनिको की सुरक्षा के लिये कोई अविष्कार नही हो रहें। बुधवार को हुये जम्मूकश्मीर में हिमस्खलन से दस सैनिक लापता हो  गये थे। कुछ समय बाद इन को हिमस्खलन से  निकाला गया है, जिसमें दस सैनिक के ही शहीद होने की पुष्टि की गई। 

कर्नल एस.डी. गोस्वामी  के अनुसार:-

बुधवार को सियचिन ग्लैशियर के दक्षिणी हिस्सें मै सैनिको का एक दल हिमस्खलन की दबोच में आ जाने से दस सैनिकी मौत होनी की खबर है। हालाकि उन्होंन बताया कि हमने सैनिक को ठूठने के लिये हेलिकॉप्टर की भी मदद ली और उसकी मदद से हमे उन्हें सर्च करने में आसानी हुई।

पीएम का  ट्विट-

वही देश के प्रंधान मंत्री ने सैनिको के प्रति दुख व्यतीत करते हुआ टिवीट किया जिसमें उन्होंने लिखा था। मुझे दुःख है कि हमारे सेनिक की हिमस्खलन की बजह से अपनी जान गबानी पड़ी,वही उन्होनें उनके परिवार के लिये भी कुूछ शब्द लिखें।

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