जानिये सूर्य ग्रहण का सूतक काल, क्यों होता शुभ और अशुभ

इस महीने 26 तारीख को वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। भारतीय समयानुसार सूर्य ग्रहण सुबह 08 बजकर 17 मिनट पर लगेगा और 10 बजकर 57 मिनट में समाप्त हो जाएगा। खण्डग्रास की अवधि 2 घंटे 40 मिनट तक रहेगी। हालाँकि सूर्य ग्रहण में लगने वाला सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पूर्व लग जाएगा।

किस राशि और नक्षत्र में लग रहा है सूर्य ग्रहण सूर्य ग्रहण गुरु की राशि धनु और मूल नक्षत्र में लग रहा है। मूल नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है। सूर्य ग्रह, धनु राशि और मूल नक्षत्र के बीच की सामंजस्यता को देखें तो इन तीनों के मध्य अच्छी 

सामंजस्यता दिखाई दे रही है। क्या होता है सूतक काल? ग्रहण में लगने वाला सूतक एक अशुभ समय होता है। धार्मिक दृष्टि से यह अवधि किसी शुभ कार्य के लिए अच्छी नहीं होती है। अतः इस दौरान शुभ कार्यों को नहीं किया जाता है। यह सूर्य ग्रहण से लगने के चार पहर (एक पहर तीन घंटे के बराबर होता है) पहले से ही लग जाता है और ग्रहण के समाप्ति के साथ ही खत्म होता है। फिलहाल सूतक काल वहीं प्रभावी होता है, जहां सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।

सूतक काल में न करें ये कार्य सूतक काल में भोजन पकाना और खाना नहीं चाहिए। इस दौरान किसी भी नए कार्य को शुरु नहीं किया जाता है। इसके साथ ही मूर्ति पूजा और मूर्तियों का स्पर्श न करें, न ही तुलसी के पौधे का स्पर्श करें। गर्भवती महिलाओं को चाकू एवं छुरी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर होता है। इसके साथ ही उन्हें घर से बाहर न निकलें। सूर्य को नग्न आंखों से न देंखें।

सूतक काल समाप्त होने पर करें ये कार्य सूतक काल के दौरान सूर्य ग्रह के बीज मंत्र का जाप करें। वहीं ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में शुद्धता के लिए गंगाजल का छिड़काव करें। स्नान के बाद भगवान की मूर्तियों को स्नान कराएँ और उनकी पूजा करें। ग्रहण समाप्त होने पर ताजा भोजन बनाएं और खाएं। यदि भोजन बना हुआ है तो उसमें तुलसी डाल दें ताकि वह भोजन दूषित न हो। सूर्य ग्रहण के बाद गरीबों को अनाज दान करें।   

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