पता नहीं और क्या असर दिखायेगा प्रदुषण

प्रदुषण आज हमारे समाज के सामने बहुत बड़ा सवाल बनता नजर आ रहा है. गाड़ियों के रेलमपेल और फैक्टरियों के दानव की तरह फैलते हुए धुएँ के कारन इंसान के लिए खुली हवा में सांस ले पाना भी दुश्वार होता जा रहा है. यह सच में सोचने वाली बात है कि अगर इस समस्या का उचित हल नहीं निकाला गया तो वो दिन दूर नहीं जब हमें ऑक्सीजन मास्क पर निर्भर रहना पड़ेगा। प्रदुषण के कितने खतरें है इस बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन अब इसके कारण दवाई भी हमारे शरीर पर असर नहीं कर रही हैं.

वायु प्रदूषण से जीवाणुओं की क्षमता में वृद्धि होने के कारण सांस संबंधी संक्रमण के इलाज में दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर हो जाती हैं। यह बात एक शोध में सामने आई। वायु प्रदूषण से संक्रमण का प्रभाव बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण का प्रमुख घटक कार्बन है। यह डीजल, जैव ईंधन व बायोमास के जलने से पैदा होता है। शोध से यह भी पता चलता है कि यह प्रदूषक जीवाणु के उत्पन्न होने और उसके समूह बनाने की प्रक्रिया को बदल देता है। इससे वे श्वसन मार्ग में वृद्धि व छिपने और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली से लड़ने में सक्षम हो जाता है। यह शोध दो मानव रोगाणुओं स्टेफाइलोकोकस अयूरियस और स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया पर किया गया। यह दोनों प्रमुख श्वसन संबंधी रोगकारक हैं जो एंटीबायोटिक के प्रति उच्च स्तर का प्रतिरोध दिखाते हैं।

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