श्री हरि के इस मन्त्र के जाप से दूर होंगे सभी दुःख और कष्ट

सृष्टि के पालन हार श्री हरि की कृपा जिस भक्त को मिलती है. इसके साथ ही उसका तो मानो जीवन धन्य हो जाता है. श्री हरि की भक्ति हर पाप और कष्ट से मुक्ति दिला सकती है. परन्तु सवाल ये कि श्री हरि को प्रसन्न कैसे किया जाए. वहीं श्री हरि को मनाने के लिए उनकी कृपा पाने के लिए धर्म ग्रंथों और शास्त्रों कई दिव्य मंत्र बताए गए हैं और इन दिव्य मंत्रों में सबसे शक्तिशाली और प्रभावी एक मंत्र है, जिसे जपने से नारायण की असीम कृपा मिल जाती है.

नारायण का दिव्य मंत्र- शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् । वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

नारायण का ये वो दिव्य मंत्र है जिसका जाप करने वाले भक्त हर मुसीबत और विपदा से सुरक्षित रहते हैं, क्योंकि जिस पर नारायण की कृपा होती है. उसे ना तो कोई बाधा रोक सकती है और ना ही कोई विपदा परेशान कर सकती है. तो सच्चे मन और पूरी श्रृद्धा से नारायण का महामंत्र जपिए. नारायण का सबसे कल्याणकारी रूप शालिग्राम हैं. ज्योतिषी कहते हैं कि शालिग्राम की पूजा से जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति पाई जा सकती है. हम आपको भगवान शालिग्राम की विशेषता और उनकी पूजन विधि के बारे में बताएंगे, लेकिन पहले आपको बताते हैं श्रीहरि कैसे बन गये शालिग्राम

श्री हरि कैसे बने शालिग्राम-

- शंखचूड़ नामक दैत्य की पत्नी वृंदा अत्यंत सती थी - बिना उसके सतीत्व को भंग किये हुये शंखचूड़ को परास्त कर पाना असंभव था - श्रीहरि ने छल से रूप बदलकर वृंदा का सतीत्व भंग कर दिया - तब जाकर शिव ने शंखचूड़ का वध किया - वृंदा ने इस छल के लिए श्री हरि को शिला रूप में परिवर्तित होने का शाप दिया - श्री हरि तबसे शिला रूप में भी रहते हैं और उन्हें शालिग्राम कहा जाता है - वृंदा ने अगले जन्म में तुलसी के रूप में पुनः जन्म लिया था - श्रीहरि ने वृंदा को आशीर्वाद दिया कि बिना तुलसी दल के उनकी पूजा सम्पूर्णी नहीं होगी

शालिग्राम की विशेषता-

- जिस प्रकार भगवान शिव के विग्रह के रूप में शिवलिंग की पूजा की जाती है - उसी प्रकार भगवान विष्णु के विग्रह के रूप में शालिग्राम की पूजा की जाती है - शालिग्राम एक गोल सा काले रंग का पत्थर है जो नेपाल के गण्डकी नदी में पाया जाता है - इसमें एक छिद्र होता है और पत्थर के अंदर शंख, चक्र, गदा या पद्म खुदे होते हैं - कुछ पत्थरों पर सफेद रंग की गोल धारियां चक्र के समान होती हैं - इस पत्थर को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है - शालिग्राम पत्थर जितना काला होगा और उस पर जितनी आकृतियां पायी जाएंगी वो उतना ही श्रेष्ठ और प्रभावशाली होगा

शालिग्राम की पूजन विधि-

-प्रतिदिन जल और पंचामृत से शालिग्राम जी का अभिषेक करें -चन्दन अर्पित करें, पांच फल या ऋतु फल अर्पित करें   -तुलसी दल अवश्य अर्पित करें,बिना तुलसी दल के इनकी पूजा हो ही नहीं सकती -अगर घर में शालिग्राम हैं तो बिना दोनों वेला इनकी पूजा के आहार ग्रहण नां करें - प्रयास करना चाहिए कि घर में वैष्णव नियमों का पालन हो

अगर आप तनाव में रहते हैं और इससे निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है तो श्री हरि की शरण लें. श्री हरि के एक मंत्र का जाप आपको तनाव से मुक्ति दिला सकता है. भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए खासतौर पर विष्णु गायत्री मंत्र महामंत्र माना गया है, क्योंकि जगतजननी गायत्री की 24 देवशक्तियों में भगवान विष्णु एक हैं. इस महामंत्र के स्मरण मात्र से सारे कार्य बाधा, दु:ख और संताप दूर हो जाते हैं.

श्री हरि के मंत्र और पूजन विधि-

- श्रीहरि की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं - केसर, चंदन, फूल, तुलसी की माला, पीताम्बरी वस्त्र ,कलावा, फल चढ़ाएं - केसरिया भात, खीर या दूध से बने पकवान का भोग लगाएं. - धूप और दीप जलाकर पीले आसन पर बैठें - तुलसी की माला से विष्णु गायत्री मंत्र की 1, 3, 5, 11 माला का करें

विष्णु गायत्री मंत्र-

ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।श्री हरि से यश, प्रतिष्ठा और उन्नति की कामना से करें पूजा और मंत्र जप के बाद भगवान की धूप, दीप और कपूर से आरती करें देव स्नान कराया जल यानी चरणामृत और प्रसाद ग्रहण करें.

श्री हरि के मंत्र और पूजन विधि-

- स्नान के बाद पीला वस्त्र धारण करें - भगवान श्री हरि की प्रतिमा को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं - भगवान को फल, फूल, केसर, चंदन और पीला फूल चढ़ाएं - पूजन के बाद श्री हरि की आरती करें - ''ऊं नमो नारायणाय या ऊं नमो भगवते वासुदेवाय'' मंत्र जपें|

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