शिव जी पर शंख से जल न चढ़ाये

ये बात सभी जानते है की शंख का पूजा में विशेष स्थान होता है. पर ये बात किसी को पता नही होगी की शिव जी के ऊपर शंख पर जल चढ़ाना वर्जित है. इसका कारण आज हम आपको बताएँगे, एक बार धरती पर दम्भ नाम का राक्षस हुआ था उसका कोई पुत्र नही था पुत्र की प्रप्ति के लिए उसने विष्णु जी की तपस्या की तो उसे पुत्र हुआ उसने उसका नाम शंखचूर रखा वो भी बहुत शक्तिशाली था

शंखचूर ने ब्रम्हा जी की तपस्या कर के भी शक्ति पा ली थी, ब्रम्हा जी के कहने से तुलसी और शंखचूर का विवाह हो गया, तुलसी एक पतिवृता स्त्री थी जिसकी वजह से शंखचूर को और भी शक्ति मिलती थी फिर  वो देवताओं को तंग करने लगा और देवताओ ने विष्णु जी से मदद मांगी पर विष्णु जी ने दम्भ को वरदान दिया था इसलिए वो उसका वध नही कर सकते थे, इसलिए उन्होंने शिव जी से मदद मांगी परंतु तुलसी के पतिवृता होने के कारण वे भी कुछ नहीं कर पा रहे थे,

तब विष्णु जी ने शंखचूर का वेश बना कर तुलसी का शीलहरण कर लिया इस तरह शंखचूर्ण निर्बल हो गया, यह देख कर शिव शंकर ने उसे भस्म कर दिया. इसी शंखचूर्ण की हड्डियों से शंख का निर्माण हुआ है .जिसका जल विष्णु और माँ तुलसी को चढ़ाना शुभ माना जाता है पर शिव ने उसका वध किया था शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नही चढ़ाते.

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