दिल की बात आखो के साथ

आखो ने कहा दिल से

तुम सोचा करो कम

सोचते हो तुम रोते है हम

इस पर दिल ने कहा आखो से

देखा करो कम

क्यों की देखती हो तुम

और तड़पते है हम

दिन की रौशनी ख्वाबो को बनाने में लग गई

सारी नींद रात को मनाने में लग गई

जिस घर में तेरे नाम की तस्वीर रखी थी

सारी उम्र उस घर को सजाने में दल गई |

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