साबित नहीं होती मोहब्बत एक दुसरे को मिलने पर, सब निर्भर करता है जाते वक़्त उसके मुड्कर देखने पर. उसने रात के अँधेरे में मेरी हथेली पे नाजुक सी ऊँगली से लिखा, मुझे प्यार है तुझसे, जाने कैसी स्याही थी वो लफ्ज मिटे भी नही और आज तक दिखे भी नही. गर लफ्ज़ों में कर सकते बयान इंतेहा-ए-दर्द-ए-दिल, लाख तेरा दिल पत्थर का सही, कब का मोम कर देते. लोग कहते है कि सुधर जाओ वरना जिदंगी रूठ जायेगी, हम कहतें है : जिदंगी तो वैसे भी रूठी है. पर हम सुधर गए तो हमारी पहचान रूठ जायेगी. यादो में तेरी तन्हा बैठे हैं, तेरे बिना लबों की हसी गावा बैठे हैं. तेरी दुनिया में अंधेरा ना हो, इसलिए खुद का दिल जला बैठे हैं. अपनी जात पे तन्हाई का लिबास रखती हूँ, मै खाश फूल हूँ रंग का ख्याल रखती हूँ. ये तुम को वहम है की सुरुआत गुफ्तगू हम करेंगे, हम जो खुद से रूठ जाए तो सदियो खामूश रहती है. बोलना सब को आता है बस किसी का दिमाग बोलता है, किसी का एखलाक बोलता है किसी का जुबान बोलता है. कभी कभी मरने के लिए जहर की जरूरत नही पड़ती, बस कुछ लोगो की जुदाई मरने के लिए काफी है. रिश्ता हमेशा वही कामयाब होता है, जो दिल से जुड़ा हो जरूरत से नही. यहाँ किराये पर मिलता है दहेज़ इस म्यूज़ियम में है अर्श से लेकर फर्श तक केवल कलाकारी 'अंडा पहले आया या मुर्गी' वाले सवाल को छोड़ अब इस सवाल में उलझे लोग