शनि जयंती - सोमवती अमावस्या का दुर्लभ योग

18 मई को शनि जयंती का दुर्लभ संयोग आ रहा है। सोमवार को शनि जयंती का पर्व होने के कारण तीर्थ नगरियों में श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहेगा। श्रद्धालु स्नान पूजन कर शनि देव का दान कर पुण्य कमाऐंगे। न्याय के देवता होने के बाद भी शनि देव को अंधकार का देवता माना जाता है। मान्यता है कि अमावस्या तिथि जिस दिन होती है उसी दिन शनि जयंती मनाई जाती है। इस बार शनि जयंती का पर्व दो दिन मनाया जाएगा। जहां कुछ लोग 17 मई को यह पर्व मना रहे हैं तो कुछ 18 मई को शनि जयंती मनाई जाएगी।

18 मई को भगवान का जन्म दोपहर 12 बजे मनाया जाएगा। इसके पहले अमावस्या 11.48 बजे लगेगी और यह सुबह 9.43 बजे तक रहेगी, इस बार शनि जयंती का संयोग सोमवती अमावस्या के साथ आ रहा है जिसकारण इसका महत्व और बढ़ गया है। इस योग में चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में होगा। श्रद्धालु शनि देव का दान कर और शनि मंदिरों के साथ विभिन्न तीर्थों में स्नान कर पुण्यलाभ कमाऐंगे।

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