आज है शनि अमावस्या, जानिए क्या करें और क्या नहीं?

शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित माना जाता है और अमावस्या अगर शनिवार के दिन पड़ती है तो इसे शनि अमावस्या कहा जाता है। जी दरअसल हिंदू धर्म में शनि अमावस्या का काफी महत्व होता है। इस अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। जी हाँ और इस दिन कुछ खास उपाय करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है अगर कुंडली में शनि ढैय्या, साढ़साती या शनिदोष है तो इस दिन कुछ उपायों को करने से आपको काफी लाभ मिल सकता है। जी दरअसल शनि अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना काफी शुभ माना जाता है। अब हम आपको बताते हैं शनि अमावस्या से जुड़े कुछ खास उपाय। 

शनि अमावस्या पर करें ये उपाय- * अमावस्या के दिन रुद्राक्ष की माला से 108 बार  ऊँ शं शनैश्चराय नमः मंत्र जाप करना शुभ होता है। * शनि अमावस्या के दिन शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करना काफी शुभ माना जाता है। इसी के साथ ही सरसों के तेल में काले तिल डालकर दीया भी जलाना चाहिए।  * शनि अमावस्या के दिन दान का काफी महत्व होता है। कहते हैं इस दिन गरीब- निर्धन लोगों को शनिदेव से जुड़ी चीजें दान करनी चाहिए साथ ही आप आटा,  शक्कर, काले तिल आदि चीजों का भी दान कर सकते हैं। * शनि अमावस्या के दिन सूर्य ढलने के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों केतेल का दीया जरूर जलाना चाहिए। कहा जाता है इससे शनि साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव कम होता है।

शनि अमावस्या के दिन भूलकर भी ना करें ये काम-  * शनि अमावस्या के दिन शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करना काफी शुभ माना जाता है। हालाँकि इस बात का ख्याल रखें कि मंदिर से लौटते समय शनिदेव को अपनी पीठ ना दिखाएं। * शनि देव की पूजा करते समय उनकी नजरों में नहीं देखना चाहिए। जी हाँ और हमेशा आंखे झुकाकर ही शनिदेव की पूजा करनी चाहिए। * ऐसा माना जाता है कि शनिवार के दिन नाखून, बाल और दाढ़ी काटने से शनि दोष लगता है। * शनि अमावस्या पर माता पिता, गुरु, बड़े बुजुर्ग का, महिला का अपमान नहीं करना चाहिए।

शनिदेव के इन मंत्रों का करें जाप- ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।

ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

शनि गायत्री मंत्र- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

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