दिल्ली: चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ हाल ही में हुई तकरार के बाद वकालत छोड़ने की घोषणा वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने की थी. जिसके बाद उन्होंसे कई लोगों ने निवेदनथा कि वे अपने इस निर्णय पर वापस से विचार करे. जिसको मानते हुए उन्होंने एक बार फिर से अपने निर्णय पर विचार करने का मन बना लिया जाता है.बताया जाता है कि ये विचार उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में अपने मुवक्किल के आग्रह पर किया है. दिल्ली सरकार-केंद्र के बीच विवाद मामले में चीफ जस्टिस के साथ तीखी नोंकझोंक को ‘अपमानजनक समापन’ करार देते हुए 74 वर्षीय धवन ने 11 दिसंबर को अदालत में वकालत नहीं करने का निश्चय किया था. वहीं अयोध्या भूमि विवाद मामले में कुछ मुस्लिम संगठनों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील एजाज मकबूल ने बताया कि उन्होंने इस मामले में राजीव धवन से उसका प्रतिनिधित्व करने का अनुरोध किया था जिसे वरिष्ठ अधिवक्ता ने स्वीकार कर लिया है. उन्होंने कहा कि अदालत में वकालत से संन्यास लेने की घोषणा करने से पहले राजीव धवन अयोध्या विवाद मामले में उनकी ओर से पेश हो रहे थे. मकबूल ने मीडिया को भेजे एक पत्र में कहा, ‘हमने उनसे (धवन) बाबरी मस्जिद मामले को अपवाद के रूप में लेने का अनुरोध किया और उन्होंने हमारा आग्रह स्वीकार कर लिया और अब वह बाबरी मस्जिद मामले में हमारी ओर से पेश होते रहेंगे.’ उन्होंने कहा, ‘वह (धवन) चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखकर सूचित करेंगे कि वह अपने लंबित मामलों में पेश होते रहेंगे.’ धवन ने इससे पहले चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखकर सूचित किया था कि उन्होंने अदालत में वकालत नहीं करने का निर्णय किया है. खजाने की तलाश में किले में खुदाई जारी फाइनेंस कंपनी के मैनेजर ने पकड़ा नकली सोना कालेज को आदेश - सुविधा के ही पैसे वसूल करें