स्वयम प्रकट होता है ॐ

सूर्य की पहली किरणें जब कैलाश पर्वत पर पड़ती हैं तो यह पूर्ण रूप से सुनहरा हो जाता है. इतना ही नहीं, कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान आपको पर्वत पर बर्फ़ से बने साक्षात ‘ॐ’ के दर्शन हो जाते हैं. कैलाश मानसरोवर की यात्रा में हर कदम बढ़ाने पर दिव्यता का एहसास होता है. ऐसा लगता है मानो एक अलग ही दुनिया में आ गए हों.पर्वत पर ॐ अक्षर प्राकृतिक रूप से उभरा है

ज्यादा हिमपात होने पर प्राकृतिक रूप से उभरा यह ॐ अक्षर चमकता हुआ स्पष्ट दिखाई देता कैलाश मानसरोवर को शिव-पार्वती का घर माना जाता है.सदियों से देवता, दानव, योगी, मुनि और सिद्ध महात्मा यहां तपस्या करते आए हैं.मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति मानसरोवर की धरती को छू लेता है, वह ब्रह्मा के बनाये स्वर्ग में पहुंच जाता है और जो व्यक्ति झील का पानी पी लेता है, उसे भगवान शिव के बनाये स्वर्ग में जाने का अधिकार मिल जाता है.

इसे 51 शक्तिपीठों में से भी एक माना गया है. गर्मी के दिनों में जब मानसरोवर की बर्फ़ पिघलती है, तो एक प्रकार की आवाज़ भी सुनाई देती है. श्रद्धालु मानते हैं कि यह मृदंग की आवाज़ है.एक किंवदंती यह भी है कि नीलकमल केवल मानसरोवर में ही खिलता और दिखता है

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