भारतीय समाज में बदल रही है सेक्स वर्जनाऐं

देश में पोर्न को लेकर तरह - तरह की मान्यताऐं देखने में आती है। कहीं लोगों को सेक्स पर खुले तौर पर चर्चा करने की मनाही कर दी जाती है तो दूसरी ओर यह हर तरह से चलता रहता है। मगर समाज में इसके प्रति अलग - अलग तरह की मान्यताऐं होती हैं। यही नहीं ऐसी ही मान्यताऐं भारत में अति प्राचीन काल से चली आ रही हैं लेकिन पोर्न का शोर अब मचाया जा रहा है। दरअसल भारत में अतिप्राचीन काल से ही काम को मान्यता दी गई है 

हालांकि स्वामी विवेकानंद ने कुछ स्थानों पर कहा है कि काम को संतानोत्पत्ती का कारक माना गया है। हालांकि अब ये सेक्स वर्जनाऐं बदल रही हैं। मगर फिर भी प्राचीन काल से ही सेक्स भारतीय समाज में उसी तरह से छाया हुआ था जैसा आज छाया हुआ है लेकिन समाज में पश्चिम की तरह सेक्स को खुले तौर पर स्वीकार नहीं किया गया। यही नहीं प्राचीनकाल में नगर वधूऐं आदि हुआ करती थीं। जो कि समाज में इसी तरह का कार्य किया करती थीं।

यही नहीं गणिकाओं को सेक्स के माध्यम से गुप्तचरी के राज़ जुटाने में उपयोग किया जाता था। समाज में वेश्याओं का भी बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान था। आज भी वेश्यालय चल रहे हैं मगर अब समाज में सेक्स के कई तरह के साधन हो गए हैं ऐसे में लोगों के बीच सेक्स वर्जनाऐं बदली हैं। लोग पोर्न को सहज तरीके से स्वीकारते हैं।

हालांकि सरकार द्वारा पोर्न वेबसाईट्स को बैन करने की बात कही गई है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों से युवाओं को पोर्न देखने के लिए बल मिला है। युवा इस साधन को अन्य साधनों की अपेक्षा अधिक श्रेयस्कर मानते हैं। हालांकि सेक्स पर खुलेतौर पर चर्चा करना लोग ठीक नहीं मानते हैं। मगर इस विषय पर युवा सही जानकारी के अभाव में भटकते रहते हैं। ऐसे में युवाओं के भ्रमित होने का अंदेशा बना रहता है। 

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