निजी कॉलेजों को अलग से परीक्षा कराने देने की अनुमति देने का तो सवाल ही नहीं है

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायलय ने गुरुवार को कहा कि निजी मेडिकल कॉलेजों को एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों के लिए अलग से परीक्षाएं कराने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इससे पहले तक गैरवितपोषित निजी मेडिकल कॉलेज एऩईईटी के अतिरिक्त प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करते थे।

इसके बाद जब कुछ वकीलों द्वारा परीक्षाओं के भविष्य के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया, तो न्यायमूर्ति ए आर दवे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायधीशों की बेंच ने कहा कि निजी संस्थानों को किसी भी अन्य परीक्षा के लिए अनुमति देने का कोई सवाल ही नहीं है।

पीठ ने सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार से अपनी अलग प्रवेश परीक्षा पहले ही आयोजित कर चुके कुछ राज्यों को वर्तमान शैक्षणिक सत्र के लिए प्रवेश प्रक्रिया के साथ आगे बढने की व्यवहार्यता पर केन्द्र से निर्देश लेने को कहा। पीठने कुमार से कहा कि वो उन्हें अवगत कराए कि एनईईटी में शामिल होने वाले छात्रों को 24 जुलाई को आयोजित होने वाली एनईईटी-2 में फिर से बैठने की अनुमति होगी या नहीं।

पीठ का कहना है कि छात्रों को एनईईटी-2 में बैठने की आज्ञा मिलनी चाहिए। सीबीएसई की ओर से पैरवी कर रही सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा कि मैं यह नहीं कह सकती कि यह असंभव है, लेकिन यह मुश्किल होगा। एमसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने सुझाव दिया कि छात्र एक परीक्षा में दो अवसरों का फायदा नहीं ले सकते।

जब गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, केरल, असम और जम्मू कश्मीर सहित विभिन्न राज्यों के वकीलों ने एनईईटी के खिलाफ अपील की तो अदालत ने केन्द्र और सीबीएसई से उनका नजरिया पूछा। गुजरात और महाराष्ट्र का कहना है कि गुजराती और मराठी जैसी प्रादेशिक भाषाओं में राज्य प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को अगर अचानक एनईईटी में बैठने को कहा गया, तो उन्हें नुकसान हो सकता है।

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