माल्या को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, चार सप्ताह में दें संपत्ति का ब्योरा

नई दिल्ली : 9000 करोड़ के लोन के तहत दबे बिजनेसमैन विजय माल्या को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका मिला है। सोमवार को उच्चतम न्यायलय ने माल्या को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। यह नोटिस बैंको के समूह द्वारा अवमानना याचिका दायर किए जाने के बाद भेजी गई। बैंको के समूह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेश दिए जाने के बाद भी माल्या ने अपनी संपत्ति का पूरा ब्योरा नहीं दिया है।

याचिका में कहा गया है कि यह न्यायलय की अवमानना है। इसलिए माल्या के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाली बैंक समुहों का पक्ष रखने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी पहुंचे थे। रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि माल्या ने जो रकम बैंकों से लोन ली वो जनता का पैसा है।

कोर्ट के आदेश के बावजूद उन्होंने अपनी संपत्ति का पूरा ब्योरा नहीं दिया है, इसलिए उसके खिलाफ अवमानना के तहत केस चलना चाहिए। रोहतगी का कहना है कि माल्या ने कोर्ट को जो सीलबंद लिफाफे में संपत्ति का ब्योरा दिया, वो गलत है। इस में कोर्ट से की लेन-देन को छुपाया गया है, जिसमें 2500 करोड़ रुपए के लेनदेन का ब्योरा न देने का भी मामला है।

बेंगलुरू के डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने माल्या के खिलाफ चल रही कार्यवाही को पूरा करने के लिए ट्रिब्यूनल को और वक्त दे दिया है। बता दें कि कोर्ट ने माल्या से सीलबंद लिफाफे में उनकी संपत्ति का ब्योरा मांगा था। बैंक समूह का आरोप है कि माल्या जांच में सहयोग नहीं कर रहे है। बैंको का कहना है कि माल्या की विदेशी संपत्तियों के जरिए बकाया राशि को वसूलाी जा सकता है।

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