पुण्यतिथि विशेष : मौत के फंदे को हंस कर चूमने वाले बेख़ौफ़ क्रांतिकारी 'उधम सिंह'

हिंदुस्तान को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने के लिए कई क्रांतिकारियों ने माँ भारती की रक्षा में अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया. यहां तक कि देश के लिए उन्होंने बिना कुछ सोचे समझे बेझिझक अपने प्राणों की आहुति भी दे दी. इसी कड़ी में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते है महान क्रांतिकारी सरदार ऊधम सिंह. ऊधम सिंह ने आज ही के दिन साल 1940 में अपने प्राणों की चिंता किए बिना हंसते हुए मौत के फंदे को गले लगा लिया था. उन्हें पहले ही इस बात का आभास हो चुका था कि उन्हें जल्द ही फांसी दे दे जाएगी. जहां उन्होंने फांसी के फंदे को यह कहते हुए गले लगा लिया कि मेरी शादी मौत से होगी.

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सरदार ऊधम सिंह का पूरा जीवन हिन्दुतान के लिए लड़ते हुए ही गुजरा. ऊधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1988 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम में हुआ था. उनके पिता का नाम सरदार तहल सिंह और माता का नाम नारायण कौर था. ऊधम सिंह का बचपन का नाम शेर सिंह था. उनकी मृत्यु आज ही के दिन साल 1940 में लंदन में हुई थी. लंदन में जेल में रहने के दौरान ही उन्होंने फांसी के फंदे को चूमा था. ऊधम सिंह को माइकल ओडवायर की हत्या किए जाने के मामले में लंदन की जेल में कैद कर रखा गया था.  

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31 जुलाई यानी कि आज देशभर में सरदार ऊधम सिंह के बलिदान दिवस को मनाया जाएगा. सिंह का कहना था कि मुझे मौत से कभी डर नहीं लगा और मुझे कोई अफसोस नहीं हैं. देश के वीर क्रांतिकारी को अपने माता और पिता की मौत के बाद अपने बड़े भाई मुक्तासिंह के साथ अनाथालय में रहना पड़ा. यहीं पर उनके भाई मुक्तासिंह को साधुसिंह जबकि उन्हें ऊधम सिंह नाम मिला था. देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले महान क्रांतिकारी शहीद ऊधम सिंह को न्यूज़ट्रैक परिवार की ओर से उनकी पुण्यतिथि पर शत-शत नमन...

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