सरस्वती नदी के रास्ते आया अवैध अतिक्रमण

यमुनानगर : अतीत में धरती के गर्भ में लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी के अस्तित्व में आ जाने के बाद अब इस मामले में नए सिरे से नदी को पुर्नजीवित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए सरस्वती नदी के पुराने क्षेत्र में खुदाई कार्य किया जा रहा है लेकिन अब यह खुदाई कार्य रोक दिया गया है। खुदाई के प्रथम चरण में लगभग 25 किलोमीटर की खुदाई होगी। इसकी एक बड़ी वजह अतिक्रमण को बताया जा रहा है।

जानकारी दी गई है कि नदी क्षेत्र में करीब 350 एकड़ पर अवैधरूप से कब्जा जमा लिया गया है। दूसरी ओर कहा जा रहा है कि राजस्व अमले के रिकाॅर्ड में ये सभी क्षेत्र सरस्वती नदी के नाम से चिन्हित हैं। मिली जानकारी के अनुसार इस नदी की खुदाई का कार्य सतत चलता रहे इसके लिए अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं। नाटिस जारी होने के बाद अब इन्हें हटाने की तैयारी की जा रही है।

नदी क्षेत्र की खुदाई जिला प्रशासन के सेटेलाईट चित्रों के आधार पर की जा रही है। उल्लेखनीय है कि सरस्वती नदी अति प्राचीन नदी है। जिसका पुराणों और वेदों में भी उल्लेख है। यह नदी अतीत में लुप्त हो गई। कई पवित्र संगमों में इसका लुप्त रूप में उल्लेख किया जाता है। यह नदी बहुत बड़ी नदी थी।

कुछ समय पूर्व ही अमेरिका द्वारा सैटैलाईट चित्रों में राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में धरती के नीचे जल का विशाल भंडार होने की बात सामने आई थी। जब इस आधार पर इन क्षेत्रों में खुदाई की तो सरस्वती नदी होने के संकेत मिले। यहां से निकला पानी भी सरस्वती नदी की पानी की ही तरह माना गया। जिसके बाद इस जलस्त्रोत को सरस्वती नदी के तौर पर जाना गया।

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