सपने .... हर किसी को नहीं आते बेजान बारूद के कणों में सोई आग के सपने नहीं आते बदी के लिए उठी हुई हथेली को पसीने नहीं आते शेल्फ़ों में पड़े इतिहास के ग्रंथो को सपने नहीं आते सपनों के लिए लाज़मी है झेलनेवाले दिलों का होना नींद की नज़र होनी लाज़मी है सपने इसलिए हर किसी को नहीं आते. -पाश 'अवतार सिंह संधू'