साणंद है देश के सबसे विकसित गांवों में शामिल

जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही साणंद सीट से कोली-पटेल समाज के लोगों को टिकट दिया था. राज्य की चर्चित सीटों में शुमार साणंद सीट से बीजेपी उम्मीदवार कनुभाई पटेल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेसी प्रत्याशी पुष्पाबेन डाभी को शिकस्त दी. वर्ष 2012 में साणंद सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. करमसीभाई पटेल ने 73453 वोट के साथ साणंद सीट पर जीत दर्ज की थी.

गौरतलब है कि इसी साणंद से चुने गए कांग्रेसी विधायक करमसी पटेल ने अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव के दौरान हाथ का साथ छोड़ दिया था और कमल का फूल थाम लिया था. इस बार करमसी पटेल के बेटे कनुभाई पटेल को बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया था. कमाल की बात यह रही कि 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ये सीट बीजेपी से 4000 से ज्यादा मतों से जीत ली थी. शायद यही वजह है कि कोली-पटेल समाज के बड़े नेता करमसी पटेल को अमित शाह ने कांग्रेस से तोड़ा और कमल का फूल उनके बेटे के हाथ में थमा दिया.

साणंद गुजरात के विकास का मॉडल का सबसे बड़ा चेहरा माना जा सकता है. 2008 के पहले इसकी पहचान एक गांव के तौर पर थी और 2008 के बाद साणंद की पहचान देश के सबसे विकसित इलाके के तौर पर की जाती है. साणंद कोली-पटेल बाहुल्य विधानसभा है.

 

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