रियो ओलंपिक में भारत को पहला पदक दिलाकर देश को गोरान्वित करने वाली कांस्य पदक विजेता साक्षी मालिक का आज जन्मदिन है. साक्षी ने ऐसे समय में भारत को पदक दिलाया था जब एक के बाद एक भारत को निराशा हाथ लग रही थी और देश पदक के लिए तरस रहा था. ऐसे में साक्षी ने भारत को मुस्कुराने का मौका दिया. साक्षी आज 24 साल की हो गई है. साक्षी का जन्म 3 सितंबर 1992 को हरियाणा के रोहतक जिले में मोखरा गांव में हुआ था. साक्षी की मां वहीं के आंगनवाड़ी में सुपरवाइजर का काम करती थीं. जबकि पिता सुखबीर मलिक दिल्ली परिवहन निगम (DTC) में बस कंडक्टर का काम करते हैं. पिता के मुताबिक साक्षी को कुश्ती की प्रेरणा दादा बदलू राम से मिली थी जो पहलवान थे. बचपन में साक्षी की मां उन्हें रोहतक के छोटूराम स्टेडियम लेकर गईं थीं. पूरा स्टेडियम घूमने के बाद साक्षी को पहलवानों की ड्रेस पसंद आई तो उन्होंने पहलवानी करने की इच्छा जताई. उस वक्त उनकी उम्र महज 12 साल थी. साक्षी ने साल 2014 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता था. तब वह स्वर्ण पदक जीतने से चूक गईं थीं. ईश्वर दहिया उनके निजी कोच हैं, उन्होंने साक्षी को कुश्ती के दांव पेंच सिखाए. रियो से पहले साल 2015 में दोहा में आयोजित एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में साक्षी ने कांस्य पदक हासिल किया था. रियो जाने से पहले जब भारतीय खिलाड़ियों के दल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाकात की थी तब साक्षी उनसे बड़ी गर्म जोशी के साथ मिलीं थीं, उस वक्त यह किसी ने नहीं सोचा था कि रियो से जब वह पदक जीतकर देश वापस लौटेंगी तो प्रधानमंत्री क्या देश के हर व्यक्ति की जुबान पर साक्षी मलिक का नाम होगाल. रियो में महिलाओंं के 58 किग्रा वर्ग के रेपचेप दौर में किरगिस्तान की पहलवान को अंतिम क्षणों में मात देकर भारत के लिए रियो ओलंपिक में पहला पदक जीता और हमेशा के लिए भारतीय खेल इतिहास का अटूट हिस्सा बन गईं. एक कदम आगे निकली UP सरकार, खिलाड़ियों पर... रियो ओलिंपिक में देश का नाम रोशन करने वाली बेटियों को...