साक्षी ने बचपन में अपने दादाजी से सीखे पहलवानी के गुर

नई दिल्ली : साक्षी मलिक रियो ओलंपिक में पहला मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं. ब्रॉन्ज मेडल बाउट में साक्षी ने अपने बेहतरीन दांव-पेंच से विरोधी पहलवान को चारो खाने चित कर इतिहास रचा. साक्षी को कुश्ती के दांव-पेंच विरासत में मिले. सबसे पहले उनके गांव में साक्षी को पहलवानी के गुर अपने दादा बदलूराम ने सिखाए, लेकिन हरियाणा के एक छोटे से गांव मोखारा से ओलंपिक में मेडल तक का सफर साक्षी और उनके माता पिता के लिए आसान नहीं था.

साक्षी के माता- पिता कामकाजी थे. लिहाजा उन्हें अपने दादा-दादी के साथ गांव मोखारा में ज्यादातर समय बिताया. पहलवानी के शौकीन दादा बदलूराम ने अपनी लाडली साक्षी को बचपन से ही कुश्ती के दांव-पेंच सिखाना शुरू किए,लेकिन गांव के माहौल में किसी भी लड़की के लिए कुश्ती जैसा खेल खेलना आसान नहीं था. आस पड़ोस के लोगो ने साक्षी के पिता सुखबीर सिंह पर लगातार दाबव बनाते रहे कि वो लड़की को कुश्ती जैसा खेल न खिलाएं और जल्दी ही लड़की की शादी कर दें. लेकिन, साक्षी के माता-पिता किसी के सामने नहीं झुके.

रोज-रोज की बातों से तंग आकर साक्षी के पिता सुखबीर सिंह ने गांव जाना बंद कर दिया और अपनी बेटी को ज्यादा गांव जाने रोक दिया. लेकिन इस दौरान साक्षी की कुश्ती चलती रही. बाद में उन्होंने रोहतक के सर छोटूराम स्टेडियम में कोच ईश्वर जी की सख्त निगरानी में साक्षी को ट्रेनिंग के लिए भेजा. माता-पिता और साक्षी की मेहनत रंग लाई और अब उनकी अगली मंजिल 2022 में टोक्यों में होने वाले ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीतने पर है.

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