सफ़र मैंने किया था ख्वाहिशों के साथ

कुछ ख़ुशी के साये में और कुछ ग़मों के साथ साथ, ज़िन्दगी कट ही गयी है उलझनों के साथ साथ ! आज तक उसकी थकन से दुःख रहा है ये बदन, इक सफ़र मैंने किया था ख्वाहिशों के साथ साथ ! किस तरह खाया है धोखा क्या बताऊँ मैं तुम्हें, दोस्तों के मश्वरे थे साजिशों के साथ साथ ! उस दफ़ा सावन में तेरी याद के बादल रहे, उस दफ़ा मैं खूब रोया बारिशों के साथ साथ ! काश फिर से लौट आये फिर वो ही बचपन के दिन, भागना फूलों की ख़ातिर तितलियों के साथ साथ ! शहर में कुछ लोग मेरे चाहने वाले भी हैं, फूल मुझको लग रहे है पत्थरों के साथ साथ !

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