सफ़र का गुमसुम रास्ता

धीमा धीमासा है समां, वक़्तभी रूठा हुवा। तनहा हूँ मैं यहाँ, पास मेरे आना। साथी ढूँढूँ यहाँ, सफ़र का गुमसुम रास्ता। थाम हाथ मेरा,  अकेले न चलना। ख़ामोशियों को चीर दे तू, हटा दे उदासीको। एक दूजेके साथसे, दुःखोंको है भुलाना।

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