सदियो से जाग रहा था

चलते चलते ये जिंदगी , किस तरफ यु मुड़ गयी  इस राह की मंज़िल नहीं , चलने का भी दिल नहीं ताज़ा ताज़ा चमन में  बस फूल है खुशबु नहीं  सब रौनके फीकी सी है  जश्न का मंज़र नहीं  सोचता हु लौट जाऊ  फिर पुराने आशिया  फिर तेरी झुल्फो का घेरा  फिर बाहो की वादियां धुंधला सा ख्वाब कोई  बेरंग सी निगाह में  सदियो से जाग रहा था  वो ले लाया इस राह में  रूबरू जो अब हुआ है  खोखला सा लग रहा है  भीतर से मैं खाली सा हु  तेरे बिन मैं गाली सा हु  ये जश्न सारे छोड़ आउ  सोचता हु लौट जाऊ  फिर पुराने आशिया  फिर तेरी झुल्फो का घेरा  फिर बाहो की वादियां 

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