सब धरा रह जायेगा

"प्रशंसा" से "पिघलना" मत  "आलोचना" से "उबलना" मत  निस्वार्थ भाव से कर्म करो क्यूंकि इस "धरा" का  इस "धरा" पर  सब "धरा" रह जायेगा 

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