रुक्मिणी अष्टमी के दिन जरूर करें रूक्मिणी आष्टक का पाठ, मनोकामना होगी पूरी

हर साल आने वाले रुक्मिणी अष्टमी इस साल 27 दिसंबर को है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं रुक्मिणी अष्टमी के दिन करने वाली माँ रुक्मिणी की आरती। रुक्मिणी अष्टमी के पर्व के दिन माँ रुक्मिणी का पूजन करना चाहिए क्योंकि उनके पूजन और आष्टक से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। आइए बताते हैं आज हम आपको रूक्मिणी आष्टक !!

रूक्मिणी आष्टक - माय रूक्मिणी माय रूक्मिणी माय रूक्मिणी धाव गं | माय रूक्मिंणी माय रूक्मिणी पाव गं | भीष्मकी चंद्रानना, तुज सकल सुरगुरू वंदिती | पूजिती, ब्रह्मादिदेवहि परम मुनिवर पावती || शोभते भिवरातिरी सुखदायिनी दुखहारिणी || वंदितो गुणशालिनी, करूणामयी श्रीरूक्मिणी ||1|| कंकणे हाति विराजत नूपरे पदी वाजती | कंजनेत्री मेखला कटि नीलकुंतल शोभती | | कुंडलानी विलसते मुख शत्रुसैनिकमोहिनी | वंदितो वरदायिनी भवतारिणी श्रीरूक्मिणी ||2|| विमल किर्ती एकूनि मन कृष्णचरणी लोभले | अर्पुनी कृष्णासी कन्या उध्दरू कुळ आपले || रूक्मयाने योजिली शिशुपालराजाकारणी | वंदितो मी पद्मनयना पद्मजा श्रीरूक्मिणी ||3||

सात श्लोकी पत्र ते मग भीमकी ने लेखिले | गुंफुनि मन त्यात निज ते कृष्णनगरा धाडिले || येई धावत भक्ततारक नेतसे मनहारिणी | वंदितो मी कृष्णरमणी विश्वमोहिनी रूक्मिणी ||4|| तोलण्या कणकासवे कृष्णास भामा सिद्ध ती | रूक्म, रत्ने, भूषणे त्या टाकिली नच तोलती || भीमकी तुळस पडता तोल झाला त्या क्षणी | वंदितो मी भक्तिरूपा कृष्णकांता रूक्मिणी ||5||

राधिकेशी पाहिले जव कृष्ण अंकी बैसली | क्रोध आला भीमकीसी कृष्णनगरी त्यागिली || येउनी भिवरातीरी तप घोर आचरी मानिनी | वंदितो मी भक्तीमूर्ती कृष्णकीर्ति रूक्मिणी ||6|| एकनाथे वर्णिली तव हरणवार्ता रम्य ती | श्रीधरांनी गायिली ती सामराही वानिती || संत, पंत नि तंत कविहि रंगले तव वर्णनी | वंदितो मी आदिशक्ती कृष्णभक्ती रूक्मिणी ||7|| ब्रह्म तूचही श्रेय तूचहि मंगला | योगि, ज्ञानी, भक्त, कर्मी इच्छिती तुजला मनी | वंदितो मी द्वैतहारिणि निर्गुणा श्रीरूक्मिणी ||8||

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