काला जादू नकारात्मक शक्ति है. जो मानव शरीर में मौजूद आत्मा और मस्तिष्क को खराब कर देती है. अध्यात्म में इसे अतिरिक्त ऊर्जा बताया गया है. जो पूरी तरह से नकारात्मक है. काला जादू पूरी तरह से व्यक्ति को खत्म नहीं करता लेकिन किसी भी व्यक्ति की आत्मा और शरीर को इतनी हानि पहुंचाता है कि वो मृत्यु और जीवन के अधर में ही रहता है. द्वापर युग यानी महाभारत में ऊर्जा के बारे में रोचक प्रसंग मिलता है. एक बार अर्जुन ने श्रीकृष्ण से सवाल पूछा था, 'आपका यह कहना है कि हर चीज एक ही ऊर्जा से बनी है और हरेक चीज दैवीय है, अगर वही देवत्व दुर्योधन में भी है, तो वह ऐसे नकारात्मक काम क्यों कर रहा है?' कृष्ण थोड़ा हंसे फिर रुके और उन्होंने कहा, 'ईश्वर निर्गुण है, दिव्यता निर्गुण है. उसका अपना कोई गुण नहीं है.' इसका अर्थ है कि वह बस विशुद्ध ऊर्जा है. आप उससे कुछ भी बना सकते हैं. जो बाघ आपको खाने आता है, उसमें भी वही ऊर्जा है और कोई देवता, जो आकर आपको बचा सकता है, उसमें भी वही ऊर्जा है. बस वे अलग-अलग तरीकों से काम कर रहे हैं. ऐसे में सिर्फ बचाव के तौर पर आप रुद्राक्ष पहन सकते हैं, जो किसी भी किस्म की नकारात्मकता से सुरक्षा करते हैं. श्रृंगार के वैज्ञानिक आधार