रोज आ जाते हो तुम

रोज आ जाते हो तुम नींद की मुंडेरों पर बादलों मे छुपे एक ख़्वाब का मुखड़ा बन कर !! खुद को फैलाओ कभी आसमाँ की बाँहों सा !! तुम में घुल जाऊँ कोई चाँद का टुकड़ा बन कर !!

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