रिस्ते को हम बखूबी निभाते है

हर रिस्ते को हम बखूबी निभाते है रूठता है कोई तो हर सम्भव मनाते है मुझे दुख दर्द दूसरो का भी रूलाता है करू क्या संस्कार अपने न भूल पाते है बडा दुख दर्द भरा ये जीवन फिर भी ऑसू न कभी बहाते है भला दुख दर्द अपने दूसरो से क्या कहना न जाने क्यो सभी जग हँसी कराते है कर्म ही सुख दुख की जननी है सदा सत् कर्म पर ही ध्यान हम लगाते है

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