रिमझिम-रिमझिम मेघा बरसे

रिमझिम-रिमझिम मेघा बरसे, मन मयूरा नाचे घूम के, आजा अब तो प्राणप्रिय, ये आया सावन झूम के। सावन की ये मंद फुहारें, तन-मन में आग लगाती हैं, सोये जो अरमान जगे अब, ये दिल में ये हूक उठाती है, मंद पवन की शीतलता से, मदहोशी सी छाए, आजा अब तो प्राणप्रिय, ये आया सावन झूम के। विरहा की अब रात ना बीते, अब मंगल गान हो जीवन में, भँवरे की गुंजन हो अब तो, अपने घर के आँगन में, बैठाकर के तुझे सामने , तेरे लाड लडाऊं मैं, आजा अब तो प्राणप्रिय, ये आया सावन झूम के। अधरों की ये मंद हँसी, मेरे दिल को भाये, कोयल सी मीठी बोली तेरी, जीवन में रस भर जाये, मेरे बच्चों की प्यारी मम्मी, अब तेरे नाज उठाऊँ मैं, आज अब तो प्राणप्रिय, ये आया सावन झूम के।

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