मंदिर की परिक्रमा परम्परा कई वर्षो से ऐसे ही चली आ रही है देवी-देवताओ की पूजा के बाद मंदिर की परिक्रमा अनिवार्य है देवी-देवताओ के पूजा के बाद मंदिर की परिक्रमा एक तय संख्या में ही की जानी चाहिए, बिना विधि-विधान के की गई पूजा एवं परिक्रमा के कारण फल प्राप्ति में कमी आ सकती है. मंदिर की परिक्रमा हमेशा घड़ी की सूई की दिशा में होनी चाहिए, मतलब जैसे घड़ी की सूई घूमती है, उसी तरह घूमना चाहिए. साथ ही जिस देव की परिक्रमा कर रहे हैं उसके मंत्र का जाप करते रहें. भगवान गणेश की पूजा करते समय मंदिर की एक परिक्रमा तथा शिवजी की पूजा के समय मंदिर की 2 परिक्रमा करनी चाहिए. इसी प्रकार यदि पूजा भगवान विष्णु की हो तो मंदिर की 3 परिक्रमा करनी चाहिए और दुर्गा माता की पूजा के समय मंदिर की 6 परिक्रमा करनी चाहिए. जब आप मंदिर की परिक्रमा शुरू करें तो हर समय भगवान की प्रतिमा आपके दाईं ओर रहनी चाहिए. गंगा जल की कुछ बूंदे लायेंगी जीवन में शांति