बदला लेने की भावना

किसी से बदला लेने का नहीं अपितु स्वयं को बदल डालने का विचार ज्यादा सर्वश्रेष्ठ होता है। महत्वपूर्ण यह नहीं कि दूसरे व्यक्ति आपको गलत कहते हैं अपितु यह कि आप स्वयं गलत नहीं करते हैं।

बदले की आग दूसरों को कम, स्वयं को ज्यादा जलाती है। बदले की आग उस मशाल की तरह है, जिसे दूसरों को जलाने से पहले स्वयं को जलना पड़ता है।

इसलिए सहनशीलता के शीतल जल से जितनी जल्दी हो सके इस आग को रोकना ही वुद्धिमत्ता है। बदले की भावना आपके समय को ही नष्ट नहीं करती अपितु आपके स्वास्थ्य तक को नष्ट कर जाती है। दुनिया को बदल पाना बड़ा मुश्किल है इसलिए स्वयं को बदलने में ऊर्जा लगाना ही सुखी होने का और सफल होने का एक मात्र उपाय है।

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