बढ़ सकता है ब्याज दरें घटाने का दबाव

जहाँ एक तरफ महंगाई की मार के चलते दाल-प्याज की कीमतें बढ़ती ही गई वहीँ दूसरी तरफ थोक मुद्रास्फीति में कमजोरी लगातार जारी रही है. इसके तहत ही यह बता दे कि अगस्त माह के दौरान सब्जियों और ईंधन के सस्ते होने के चलते यह शून्य से 4.95 फीसदी नीचे के ऐतिहासिक स्तर पर आ गई है. इसके साथ ही यह कहा जा रहा है कि इससे रिज़र्व बैंक पर ब्याज दरों को घटाए जाने का दबाव भी बढ़ने वाला है. गौरतलब है कि थोक मुद्रास्फीति को जुलाई के दौरान शून्य से 4.05 फीसदी पर देखा गया था.

इसके साथ ही हाल ही में जो आंकड़े जारी किये गए है उनसे यह बात सामने आई है कि इसी अवधि के दौरान जहाँ प्याज 65.29 फीसदी महंगा हुआ है वहीँ दालों को 36.40 फीसदी महंगा होते हुए देखा गया है. जबकि यह देखा गया है कि खाद्य खंड में मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने शून्य से 1.13 फीसदी नीचे के स्तर पर रही है. यह कहा जा रहा है कि आलू की कीमतों के कारण सब्जियों की कीमत को 21.21 फीसदी नीचे देखा गया है. जहाँ एक तरफ ईंधन और बिजली में मुद्रास्फीति शून्य से 16.50 फीसदी नीचे देखि गयी है वहीँ विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति अगस्त में शून्य से 1.92 फीसदी नीचे देखी गई है.

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