उनकी ‘परवाह’ मत करो, जिनका ‘विश्वास’ “वक्त” के साथ बदल जाये.. ‘परवाह’ सदा ‘उनकी’ करो; जिनका ‘विश्वास’ आप पर “तब भी” रहे’ जब आप का “वक्त बदल” जाये ! ! ! क्या थी मजबूरी तेरी, जो रस्ते बदल लिए तूने. हर राज कह देने वाले, क्यों इतनी सी बात छुपा ली तूने.. !