रेलवे ने जनशताब्दी को जब्त होने से बचाया

हिमाचल प्रदेश / ऊना : मुआवजा न देने के कारण कुछ दिनों पहले ऊना से दिल्ली जाने वाली जनशताब्दी ट्रेन को जब्त करने का मामला सामने आया था. लेकिन रेलवे विभाग के अधिकारियों ने डिमांड ड्राफ्ट की कॉपी अदालत के कर्मचारी को सौंपकर ट्रेन को जब्त होने से बचा लिया. इस पूरी कार्यवाई के दौरान शिकायत दर्ज करने वाले भी मौजूद रहे. 
गौरतलब है कि नंगल तलवाड़ा रेलवे लाईन के ट्रैक बिछाने के लिए रेलवे द्वारा 1998 भूमि का अधिग्रहण किया था तथा भूमि मालिकों को उसकी एवज में पैसे भी दे दिए थे, लेकिन मुआवजा कम मिलने को लेकर भूमि मालिकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस पर सन् 2011 में ऊना की अदालत ने भुमि मालिकों के हक में फैसला सुनाते हुए रेलवे को बढ़ा हुआ मुआवजा किसानों को देने के आदेश सुनाए थे. 
जिसमें शिकायतकर्ता मेला राम को 8 लाख 91 हजार 424 रूपए तथा मदल लाल को 26 लाख 53 हजार 814 रूपए अदा करने थे, लेकिन इस फैसले के खिलाफ रेलवे विभाग ने हाईकोर्ट में अपील दायर की जिस पर 2013 में माननीय हाईकोर्ट ने 6 सप्ताह के बीच मुआवजे की राशि जमा करवाने के आदेश दिए थे जिसे रेलवे ने पूरा नहीं किया और भुमि मालिकों ने दोबारा ऊना की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में केस किया. 
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने 9 अप्रैल को जनशताब्दी ट्रेन को 16 अप्रैल तक जब्त करने के आदेश दिए थे, जिसकी अनुपालना करने के लिए कोर्ट कर्मचारी सुबह 4:30 बजे ही रेलवे स्टेशन पर पहुंचे. उसके साथ ही भूमि मालिकों ने भी रेलवे स्टेशन पर दस्तक दी, जिसे देखकर रेलवे विभाग के कर्मचारियों के होश उड़ गए और ट्रेन के जब्त होने के डर से रेलवे के उच्चाधिकारी मौके पर पहुंचे और न्यायालय के कर्मचारी को डिमांड ड्राफ्ट की कॉपी सौंपकर डिमांड ड्राफ्ट की असली कॉपी सुबह कोर्ट खुलते ही वहां पर जमा करवाने की दुहाई दी. 
जिस पर अदालत के कर्मचारी (बैलिफ) ने ट्रेन को जाने दिया. भूमि मालिकों ने कोर्ट के आदेशों को ऐतिहासिक करार देते हुए मुआवजा राशि जल्द मिलने की आशा व्यक्त की है. भूमि मालिकों के वकील अरून सैणी ने बताया कि रेलवे विभाग ने डिमांड ड्राफ्ट की फोटो कॉपी बैलिफ को दे दी है तथा असल डिमांड ड्राफ्ट आज कोर्ट खुलते ही कोर्ट में जमा करवाने का आश्‍वासन दिया है.

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