राजन बोले सरकार को ना कहने की भी ताकत होनी चाहिए

नई दिल्ली - आरबीआई के सबसे चर्चित गवर्नर रघुराम राजन के कार्यकाल का आज आखिरी दिन है.कभी वित्त मंत्री से विवाद, तो कभी स्वामी के कमेंट्स और कभी खुद के बयानों से सुर्खियों में रहे राजन वैसे तो औपचारिक रूप से 6 सितम्बर को कार्यभार सौपेंगे. लेकिन अपने कार्यकाल के अंतिम दिन शनिवार को वे दिल्ली में सेंट स्टीफेंस कॉलेज के छात्रों के बीच पहुंचे जहाँ उन्होंने कहा कि आरबीआई गवर्नर में वो ताकत होनी चाहिए कि सबसे ताकतवर सरकार को भी ना कह सके. ये एक मजबूत केंद्रीय बैंक के लिए बेहद जरूरी है.

राजन दिल्ली में सेंट स्टीफेंस कॉलेज के छात्रों के बीच वे दोहरे रोल में थे. गवर्नर के रोल में भी और एक टीचर के रोल में भी.छात्रों से उनका पुराना नाता रहा है. शिकागो यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे और अब सेवानिवृत्ति के बाद फिर शिक्षा के क्षेत्र में लौट रहे हैं. इसीलिए छात्रों को सुझाव, समझाइश के साथ-साथ नसीहत भी दी. राजन ने कहा अपने तीन साल के कार्यकाल में मुझसे जितना अच्छा हो सकता था, मैंने किया.बिना किसी डर और पक्षपात के. मैं चाहता हूं कि आने वाला गवर्नर भी ऐसा ही हो. आरबीआई के गवर्नर में वो ताकत होनी चाहिए कि सबसे शक्तिशाली सरकार को भी ना कह सके. ये इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि देश को मजबूत और स्वतंत्र केंद्रीय बैंक की बेहद जरूरत है.राजन ने ये तो स्वीकार किया कि केंद्रीय बैंक को सरकार के बनाए कायदे-कानून के मुताबिक काम करना होता है, इसलिए बंदिशों से आजाद भी नहीं रह सकता.

छात्रों को पूर्व गवर्नर डॉ सुब्बाराव की याद करते हुए राजन ने कहा कि सरकार से नीतिगत मतभेदों के मामले में मैं सुब्बाराव से एक कदम और आगे जाना चाहूंगा.रिजर्व बैंक की गतिविधियों पर हर समय नजर रखने वाली ऐसी एजेंसियों से असहमति व्यक्त करते राजन बोले कि इन्हें तकनीकी मामलों की समझ तक नहीं होती. बैंक बोर्ड में महीनों से खाली पड़े पद भरे जाना चाहिए

.यह मेरी आखिरी पब्लिक स्पीच है. इसके बाद का वक्त भी मैं भारत को दूंगा. मैं चाहता हूं कि मेरे उत्तराधिकारी अपने तरीके से आरबीआई की कम्युनिकेशन्स को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं.मेरे लिए सम्मान की बात है कि मैंने देश के लिए काम किया.

अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए दूसरा कार्यकाल चाहते थे राजन

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