मन की प्यास मेरे मन से ना निकली, ऐसे तड़पूँ के जैसे जल बिन मछली....!! मन की प्यास मेरे मन से ना निकली, ऐसे तड़पूँ के जैसे जल बिन मछली...!! हो ऐसे तड़पूँ के जैसे जल बिन मछली....!! पायल आहें भरे घुँघरू रोये संग संग मेरे....!! थिरके पग बेकरार बेबस देखो कजरा भरे....!! खाली गागर सिर पे साधे , प्यासी जाऊँ किसके आगे....!!! सबके नयन बिन बरखा की बदली...!! ऐसे तड़पूँ के जैसे जल बिन मछली....!! हो ऐसे तड़पूँ के जैसे जल बिन मछली.....!!!