अकेला रहूँ तो तुम आ जाती हो और रुलाती हो प्रिया बार बार प्रीत की यादों के पुराने गीत गाती हो प्रिया तुम्हारे मीठे बोल तो आंसू में डूबे हैं ही, हैं ही, हैं ही उस पर तुम पायल को साज की तरह बजाती हो प्रिया हवाओं की खुश्बू बता देती है तुम आने ही वाली हो चंदन, चमेली, मोगरा, गुलाब जल से नहाती हो प्रिया तुम्हारे दिल की धड़कन ने मेरे कानों में कह दिया अपनी मीठी माधुरी मेरे लिए ही तो बचाती हो प्रिया दफा तीन सौ दो से भी गम्भीर है ये जुर्म तुम्हारा मुझसे दूर रहकर मुझको तुम कितना सताती हो प्रिया जब बाहें फैलाकर मैं करता हूँ इशारा आ जाओ प्रिय इक पल में भाग जाती हो इतना क्यों शर्माती हो प्रिया