पंजाबी फिल्मों का बच्चन जी रहा है गुमनामी में जीवन

एक समय था जब 'पंजाबी सिनेमा के अमिताभ बच्चन' सतीश कौल चारो तरफ से अपने चाहने वालो से घिरे रहते थे. कभी चमकता सितारा रहे सतीश कौल इन दिनों बुझते हुए चिराग की तरह अकेलेपन में अपनी ज़िन्दगी काट रहे है. 60 साल की उम्र में सतीश का सहारा बनने वाला आज कोई नहीं है. कौल पिछले साल बाथरूम में गिर गए थे, जिससे उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई थी. फिलहाल वह चंडीगढ़ के नजदीक ज्ञान सागर अस्पताल में दाखिल है.

डॉक्टरों ने उन्हें घर जाने की अनुमति दे दी है, लेकिन वह अस्पताल से छुट्टी नहीं ले रहे हैं. कश्मीरी परिवार में जन्मे सतीश कौल ने कभी विवाह नहीं किया. सतीश के स्वभाव में ज्यादा बात करना नहीं है. अस्पताल के कर्मचारी ही उनकी देख रेख कर रहे है. 

300 फिल्मों में किया अभिनय

हिंदी व पंजाबी की 300 से अधिक फिल्मों में अपनी शानदार अभिनय क्षमता का परिचय देने वाले सतीश कौल 70 के दशक में किसी भी पंजाबी फिल्म में अभिनय कर रहे होते तो फिल्म की सफलता निश्चित मानी जाती थी. कौल ने पंजाबी में जहां राणो, वोहटी हत्थ-सोटी और छम्मक छल्लो जैसी फिल्मों में अभिनय किया. वहीं, धार्मिक फिल्म 'जय बाबा बालक नाथ' व 'जय मां चिंतपूर्णी' भी अलग भूमिका में नजर आये.

सतीश कौल ने विक्रम और बेताल टीवी धारावाहिक के माध्यम से दर्शको के बीच में अपनी पहचान बनाई. वे इसके जरिये हर घर में पहचाने जाने लगे. बॉलीवुड की मशहूर फिल्मों, आंटी नंबर-वन, जंजीर, राम-लखन में भी उनके अभिनय की प्रशंशा की गयी थी. पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में एक समय ऐसा भी आया था, जब जट्ट के नाम से बनने वाली हर फिल्म में सतीश कौल को एक्टर को रूप में चुना गया.

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