क्षणिक आनंद में ना करे जीवन का अंत

घर में केवल 6 लोग है चार दीवारे एक छत और मै ये एक लाइन अपने सपनो को पूरा करने की चाह मै अपने घर से दूर महानगर की तरफ रुख करने वाले हर युवक की कहानी है. आज हजारो युवा अपनी आँखों में कामयाबी का सपना लिए और दिल में घर की याद लिए महानगर में आते है. इनमे से कुछ महानगर की चकाचौंध में भटक जाते है कुछ ही लोग मंजिल पर पहुंच जाते है. 

यहाँ घर के अनुशासन और नियमो के बंधन से मुक्ति मिलती है और अवसर मिलता है अपनी आज़ादी का पूरा प्रयोग करने का. लेकिन इस आज़ादी का प्रयोग सकरात्मक कम और नकारात्मक ज्यादा देखा गया है. युवाओ का मानना है ही  कॉलेज लाइफ में ही ज़िन्दगी का असली मजा लिया जा सकता है. लेकिन इसके विपरीत हमारे बुजुर्ग कहते है कि युवा अवस्था में जिसने सही राह पकड़ ली वह जीवन भर उन्नति करता है. फिर क्या है जो हमारे युवा वर्ग को गलत राह में धकेल रहा है. वह है क्षणिक आनंद, कुछ पल के क्षणिक आनंद और जीवन में सुगमता के लिए उनके कदम गलत राह की और अग्रसर हो जाते है.

आज घर से दुर रह रहे कई सारे युवा सिगरेट और शराब की लत का शिकार है और उनके पास अपनी इस लत को पुरा करने के लिए धन नहीं होता तो वे हत्या, लूट की घटनाओ को अंजाम देते है. भारत के युवा आज धूम्रपान और शराब पीने की लत से ग्रसित है. शुरुआत में अपनी दोस्तों की संगत के चलते वे इस आदत को अपनाते है लेकिन बाद में वे इस आदत के शिकार हो जाते है. कुछ युवा तनाव से मुक्ति पाने के किये भी राह अपनाते है. युवाओ में तनाव की मुख्यत दो ही वजह देखी गयी है पहली करियर में सफलता नहीं मिलना और दूसरा प्रेम में असफलता मिलना. इसके अतिरिक्त ज्यादातर युवा इस आदत को पहले मौज और शौक में अपनाते हो धीरे-धीरे ये आदत में तब्दील में हो जाती है जिसे छोड़ पाना बड़ा मुश्किल साबित होता है.

ऐसे में सरकार को इसके लिए कुछ वैधानिक तरीको को अपनाना चाहिए जैसे की यह निश्चित किया जा की एक व्यक्ति तय मात्र से ज्यादा की शराब नहीं खरीद सके. लेकिन यह संभव कैसे?. जिस तरह हमारे घर में दैनिक उपयोग की वस्तुओ के लिए राशन कार्ड होता ठीक उसी तरह इसके लिए भी एक कार्ड बनाया जाए जिसमे व्यक्ति के बारे में सारी जानकारी उपलब्ध हो. कुछ युवा वैधानिक रूप से शराब खरीदने में भी डर महसूस करेंगे. इसके अतिरिक समय समय इसके लिए वर्कशॉप आयोजित की जाए. पाठ्यक्रम में भी इसके दुष्प्रभावो के सम्बन्ध में चैप्टर दिया जाए.

यदि सरकार कार्ड बना कर निश्चित मात्रा में शराब के क्रय का नियम लागू कर दे तो शायद इस पर कुछ नियत्रण किया जा सकेगा. में अपनी बात को यही कह कर विराम देना चाहुगी की क्षणिक आनंद और तनाव से मुक्ति पाने के लिए गलत राह नहीं चुने क्यूंकि आप एक पिता का सहारा, एक बहिन के रक्षक और एक माँ की उम्मीद है. वो जरुरतो का त्याग कर आपके सपनो को पूरा कर रहे है उन्हें कुछ बनकर दिखाए ताकि किसी भी माता- पिता के चेहरे पर बच्चो को शहर भेजते समय चिंता की लकीरे ना हो.

मुक्ता भावसार 

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