सिंहस्थ महापर्व में दान और स्नान की है प्रधानता

उज्जैन : यूं तो देश के चार स्थानों पर कुंभ के मेले का आयोजन होता है लेकिन इन सभी स्थानों में से उज्जैन में आयोजित होने वाले सिंहस्थ महापर्व का विशेष महत्व शास्त्रों में प्रतिपादित किया गया है। जिन चार स्थानों पर कुंभ मेला लगता है उनमें प्रयाग हरिद्वार, नासिक और उज्जैन अर्थात अवंतिका नगरी। उज्जैन में प्रति बारह वर्षों में सिंहस्थ महापर्व का आयोजन होता है और यही कारण है कि उक्त तीनों स्थानों से उज्जैन का महत्व और अधिक बताया गया है। सिंहस्थ में दान धर्म के साथ ही स्नान की प्रधानता शास्त्रों में उल्लेखित है। कहा गया है कि यदि सिंहस्थ पर्व काल के दौरान मोक्ष दायिनी शिप्रा में डुबकी या शिप्रा के पानी का आचमन ही कर लिया तो व्यक्ति समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। सिंहस्थ के अवसर पर देश विदेश से दान, तप, जप और यज्ञ आदि के माध्यम से अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं। उज्जैन में जब कुंभ मेला लगता है उस समय बृहस्पति सिंह राशि में विचरण करते हैं, इसलिए इसे सिंहस्थ भी कहा जाता है।

विद्वानों के अनुसार दान धन की शुद्धि का साधन है, जबकि स्नान मन तथा तन की शुद्धि करता है। सात नगरों में उज्जैन का तिल भर बड़ा स्थान - पुराण प्रसिद्ध सात नगरों में उज्जैन का तिल भर बड़ा स्थान है तो वहीं यहां स्वयंभू भूत भावन भगवान महाकालेश्वर विराजमान है। सम्राट विक्रमादित्य आराध्या देवी हरसिद्धि भी पवित्र उज्जैन नगरी में ही विराजित होकर भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं।

पुराण प्रसिद्ध सात नगरों के बारे में धर्मशास़्त्रों में श्लोक बताया गया है - ’अयोध्या, मथुरा, माया, काशी कांची अवंतिका........पुरी द्वारावती चैव सप्तैयता मोक्षदायिका ।’ कहा गया है कि इन सभी सात पवित्र नगरियों में उज्जैन का स्वर्ग समान स्थान है, यहां जो आता है वह शिप्रा स्नान और राजाधिराज महाकालेश्वर के दर्शन कर जीवन सागर तर जाता है।

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