वेदों में शिवलिंग शब्द सूक्ष्म शरीर के लिए आता है. यह सूक्ष्म शरीर 17 तत्वों से बना होता है. वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और फिर से सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है उसे शिवलिंग कहते हैं. भगवान शिव, शिवमहापुराण के अनुसार सभी देवों में श्रेष्ठ माने गए हैं. शिव निराकार हैं यानी उनका कोई आकार नहीं है. उनका न आदि है और न ही अंत. यही कारण है कि भगवान शिव को शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है. शिवलिंग यानी शिव का आदि अनादि स्वरूप. शिव पुराण अनुसार शिवलिंग की पूजा करके जो भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं उन्हें प्रातःकाल से लेकर दोपहर से पहले ही इनकी पूजा कर लेनी चाहिए. इसकी पूजा से मनुष्य को भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है. वास्तु से दूर करे सास बहु की नोकझोक