UPA के कार्यकाल में ही उद्योगपतियों को दी गई गरीब किसानों की जमीनें

नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए भूमि अधिग्रहण बिल की मुश्किल बातों को जानने के बाद कांग्रेस के ही मुख्यमंत्रियों ने इस बिल में बदलाव की मांग की थी लेकिन विधेयक विकास और सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों के लिए भूमि अधिग्रहण को बाधित कर दिया गया। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संपित पात्रा ने पत्रकारों से कही। 
दरअसल संपित भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर पत्रकारों द्वारा पूछे जाने वाले सवालों को लेकर जवाब दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में ही बड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण को सामाजिक प्रभाव का आंकलन और सहमति के प्रावधानों से छूट दी गई थी। भाजपा ने इस मसले पर सवाल किया कि आखिर इस तरह की छूट क्यों दी गई थी। 
मामले को लेकर पार्टी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की पिछली हरियाणा सरकार ने बड़े पैमाने पर खेती की जमीन गरीब किसानों से छिनकर उद्योगपतियों को दे दी गई। मामले को लेकर भाजपा ने कहा कि तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण बिल को सामाजिक प्रभाव आंकलन और सहमति के प्रावधानों के दायरे से बाहर रखा गया और जमीन निजी बिल्डर्स के साथ काॅर्पोरेट्स को सौंप दी गई। कांग्रेस सरकार ने सामाजिक परियोजनाओं को विभिन्न प्रावधानों में लटका कर रख दिया है।

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